- • उत्तर प्रदेश राज्य खाद्य आयोग का गठन एक अध्यक्ष,पांच सदस्य और एक सदस्य सचिव से मिलकर किया गया है
- • आयोग के प्रत्येक सदस्य को माननीय अध्यक्ष द्वारा मंडलों का आवंटन किया जाता है।
- • मंडल से सम्बंधित जिले में शिकायत के निवारण की जिम्मेदारी सम्बंधित सदस्य को दी गयी है।
- • जिला स्तर पर पात्र धारक सबसे पहले अपनी शिकायत सम्बंधित जिले के जिला पूर्ति अधिकारी को देगा। जो शिकायतों का निवारण करेगा।
- • शिकायतों का निस्तारण यदि जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा नहीं किया जाता है, तो शिकायतकर्ता जिला शिकायत निवारण अधिकारी के समक्ष अपनी शिकायत प्रस्तुत करेगा।
- • जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा शिकायत का निस्तारण किया जायेगा।
- • यदि शिकायतकर्ता जिला शिकायत निवारण अधिकारी के आदेश से संतुष्ट नहीं होता है, तो जिला शिकायत निवारण अधिकारी के आदेश के विरुद्ध राज्य आयोग के समक्ष अपील कर सकता है।
शिकायत की विषय वस्तु - जो भी राशन कार्डधारक खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित हैं तथापि पात्र लाभार्थियों के अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी राशन कार्ड न बनने, कार्डधारकों को खाद्यान्न प्राप्त न होने, निर्धारित मूल्यो एवं मानक के अनुरूप खाद्यान्न प्राप्त न होने, परिवार के सदस्यों की यूनिट न बढाने, सम्बन्धित अधिकारियों को शिकायत करने पर भी उनके द्वारा शिकायत का निस्तारण न करने, रउाशन माफियाओं द्वारा खाद्यान्न की कालाबाजारी/चोरबाजारी/व्यावर्तन करने, मध्यान्ह भोजन योजना के अन्तर्गत विद्यालयों में एम0डी0एम0 न बनने या मानक के अनुसार न बनने, आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार लाभार्थियों को उपलब्ध न कराने आदि शिकायतें आयोग के उपरोक्त पते पर लिखित रूप में निःशुल्क की जा सकती है।
शिकायत की सुनवाई - आयोग शिकायत प्राप्त होते ही दोनो पक्षो को साक्ष्य एवं सुनवाई हेतु आयोग के कार्यालय में तलब करेगा और उपभोक्ता की शिकायत सही पाये जाने पर उसे पूरी अवधि का खाद्यान्न दिलाये जाने के साथ-साथ 5000 रूपये की अधिकतम सीमा तथा खाद्यान्न के सवा गुना मूल्य का खाद्य सुरक्षा भत्ता दिलाया जायेगा। दोषी उचित दर विक्रेता तथा दोषी अधिकारियों/कर्मचारियांे के विरूद्ध कार्यवाही की जायेगी।